सबसे पहले, आपको अपना बजट डिसाइड करना होगा। कितना पैसा आप घर बनाने में खर्च कर सकते हैं, इसका एक स्पष्ट आइडिया होना चाहिए। बजट प्लान करते समय, मटेरियल्स, लेबर, आर्किटेक्ट फीस, और अनएक्सपेक्टेड एक्सपेंस को भी इंक्लूड करना न भूलें।
घर के लिए सही लोकेशन चुनना बहुत जरूरी है। लोकेशन ऐसी हो जहां से स्कूल, अस्पताल, मार्केट, और ट्रांसपोर्ट फैसिलिटीज आसानी से उपलब्ध हों। साथ ही, एरिया का वातावरण और पड़ोस भी अच्छा होना चाहिए।
एक एक्सपीरियंस्ड आर्किटेक्ट और रिलायबल कॉन्ट्रैक्टर हायर करना बहुत इम्पॉर्टेंट है। इनकी प्रीवियस प्रोजेक्ट्स देखकर आप उनकी काम की क्वालिटी का अंदाजा लगा सकते हैं। कभी भी सिर्फ कॉस्ट के बेसिस पर डिसीजन न लें, क्वालिटी और रिलायबिलिटी भी जरूर चेक करें।
मटेरियल्स की क्वालिटी का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। सस्ते मटेरियल्स का इस्तेमाल करना भविष्य में आपके घर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, अच्छे क्वालिटी के ईंट, सीमेंट, रेत, स्टील, और अन्य कंस्ट्रक्शन मटेरियल्स का इस्तेमाल करें।
भारत में, कई लोग घर बनाते समय वास्तु शास्त्र का भी ध्यान रखते हैं। वास्तु शास्त्र के प्रिंसिपल्स फॉलो करने से घर में पॉजिटिविटी और सुख-शांति बनी रहती है। आपके आर्किटेक्ट को भी ये बातें बता देनी चाहिए ताकि डिजाइन अकॉर्डिंगली हो सके।
घर में प्रॉपर वेंटिलेशन और लाइटिंग होना बहुत जरूरी है। नैचुरल लाइट और फ्रेश एयर घर को हेल्दी और एनर्जी-इफिशिएंट बनाते हैं। डिजाइन करते समय विंडोज और डोर्स का प्लेसमेंट इस तरह से करें कि नैचुरल लाइट और एयर आसानी से प्रवेश कर सके।
आज के समय में फ्यूचर एक्सपैंशन को ध्यान में रखते हुए घर बनाना भी जरूरी है। कभी आपको अपना घर एक्सपैंड करना पड़े तो यह आसानी से हो सके। इसलिए, फाउंडेशन और डिजाइन ऐसे हो कि भविष्य में कोई भी मॉडिफिकेशन आसानी से हो सके।